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रांची/डेस्क: आपने कभी यह सुना है कि कुएं से भी कभी नदी निकल सकती है. एक नदी भारत में ऐसी भी है जो कुएं से निकलती है. इस नदी से सोना भी निकलता है. इस कुएं से सालों भर पानी निकलता है. इसके बाद यह आगे जाकर बड़ी नदी का रूप ले लेती है.इसका उदगम स्थल झारखंड के रांची के पास पिस्का नगड़ी में है. ऐसा कहा जाता है कि वहां एक कुएं से यह नदी निकलती है. इस नदी का नाम स्वर्णरेखा नदी है. इसके नाम में ही इसका मतलब छुपा है. स्वर्णरेखा मतलब सोने की रेखा. इस नदी की कुल लम्बाई 474 किलोमीटर है. यह नदी देश के तीन राज्यों से होकर गुजरती है. ऐसा कहा जाता है कि इस नदी के रेत में सोने के कण पाए जाते है.
झारखंड का सबसे बड़ा जल प्रपात हुंडरू इस नदी पर ही है. यह झारखंड के रांची, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला जिलों से होकर गुजरती है. इसके बाद यह नदी पश्चिम बंगाल से होकर ओडिशा चली जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस नदी के आस पास रहने वाले स्थानीय आदिवासी नदी के रेत से सोने के कण निकालते है. झारखंड के सारंडा और तमाड़ क्षेत्र से नदी की रेत से सोने के कण को निकाला जाता है. इस नदी में पाए जाने वाले सोने के कण का आकार चावल के दाने जितना होता है या कभी कभी इससे भी छोटे कण मिलते है.
नदी के रेत से सोने के कण को निकालने का काम यहां के लोग पीढ़ियों से करते आ रहे है. लोग सोने के कण को निकालने का काम पुरे साल करते है. यह काम केवल बारिश के महीनों में बंद किया जाता है. इस काम में काफी मेहनत लगती है. काफी मेहनत के बाद भी इस काम में कभी-कभी सफलता नहीं मिलती है.