न्यूज11 भारत
रांची/डेस्क: आज 19 नवंबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है. आज भक्तों द्वारा पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन संध्या अर्घ्य का अनुष्ठान भी किया जाता है, जिसे कार्तिक षष्ठी भी कहा जाता है. लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और शाम को अर्घ्य देते हैं. डूबते सूर्य को अर्घ्य देना इस दिन का मुख्य अनुष्ठान है. यह साल का एकमात्र समय है जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. तीसरे दिन व्रत पूरी रात जारी रहता है. पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है.
काफी पुरानी है डूबते सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा
सूर्य देव को समर्पित चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, यह महापर्व छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. भक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फल, फूल और दीये चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यह अनुष्ठान परिवार में खुशी, सफलता और अच्छा स्वास्थ्य लाता है. और सूर्य देव को अर्घ्य देने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. बता दें, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा काफी पुरानी है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और शाम को तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
आज कब दिया जायेगा अर्घ्य?
आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाएगा. यह छठ पर्व का पहला अर्घ्य होगा और अर्घ्य देने का उचित समय शाम 5:26 बजे है. अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है. 20 नवंबर को सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को सूर्योदय शाम 6:27 बजे होगा. व्रत पूरा करने के बाद 36 घंटे का व्रत समाप्त हो जाएगा. सूर्य अर्घ्य के दौरान व्रती महिलाओं के साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद रहते हैं. इस दिन शाम को अर्घ्य देने के लिए सूप बनाकर बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंद आदि से सजाया जाता है. खरना वाले दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं प्रसाद ग्रहण करने के बाद कुछ भी नहीं खाती हैं, जिसके बाद 36 घंटे का यह निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यह व्रत रखा जाता है और इसके बाद व्रती महिलाएं कुछ खा-पी सकती हैं. ऐसा माना जाता है कि इन 36 घंटों के व्रत के दौरान महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम व पूजा विधि
आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य भगवान को अस्तागलामी सूर्य अर्घ्य देने के लिए एक साफ कटोरे में जल लें और उसमें कच्चा दूध मिलाएं. इस लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुश डालें और पूरे मन से सूर्य की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं. जल के इस लोटे को छाती के मध्य से थोड़ा ऊपर उठाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें. और अब धीरे-धीरे जल की धारा प्रवाहित करें और भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और पुष्पांजलि अर्पित करें. जब पानी बह रहा हो तो अपनी नजरें नदी के किनारों पर रखें.