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रांची/डेस्क: धार्मिक पहचान की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में आदिवासियों का जुटान हुआ. अलग धर्म कोड की मांग को लेकर राज्य के आदिवासी समुदाय के लोग दिल्ली के जंतर मंतर में एक दिवसीय धरना दिया और केंद्र सरकार से मांग की. अलग धर्म कोड की मांग को लेकर यह समुदाय पिछले कई दशकों से संघर्षरत है. जो अपने आंदोलन को थमने नहीं देना चाहते है. दरअसल सृष्टि में रहने वाले सभी समुदाय को अपना धार्मिक पहचान मिला हुआ है. लेकिन इस समुदाय को अछूता रखा गया है.
इस समुदाय का दावा है कि देश में इनकी आबादी 15 करोड़ के करीब है. 44 हजार की आबादी वाले जैन धर्म को अलग धर्म कोड मिला हुआ है तो आदिवासी समुदाय को क्यों अछूता रखा गया है. धार्मिक पहचान नहीं मिलने से इस समुदाय के अस्तित्व पर खरता मंडराने लगा है और कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ इस समुदाय का धर्मांतरण बड़े पैमाने पर हो रहा है. वही दूसरी तरफ इस समुदाय को दूसरे धर्म से जोड़कर देखा जाता रहा है. इससे इस समुदाय की पहचान और अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है.
आदिवासियों की मांग पर झारखंड सरकार ने साल 2020 में विशेष सत्र आहूत कर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया है जिसपर अंतिम मोहर अबतक नहीं लगा है. लिहाजा केंद्र पर दबाव बनाने के लिए इस समुदाय का आंदोलन दिल्ली की ओर रुख कर गया है. गौरतलब है कि ब्रिटिश हुकूमत में इस समुदाय के लिए अलग धर्म कोड ट्राइबल indigenous के नाम से अंकित था. जिसे देश की आजादी के बाद हटा दिया गया.