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रांची/डेस्क: सरकार को जिस वंदे भारत ट्रेन पर गर्व है, रेलवे ने उसी 100 वंदे भारत ट्रेन का ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनें देश की कई हिस्सों में दौड़ रही है. मगर देश के सभी लंबे रूट पर वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि सरकार ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें बनाने का 30 हजार करोड़ वाला ठेका ही कैंसिल कर दिया है. वहीं योजना के तहत 100 वंदे भारत ट्रेन बनाने का लक्ष्य रखा गया था. मगर टेंडर पूरा होने से पहले ही इस कॉन्ट्रैक्ट को भारतीय रेलवे ने रद्द कर दिया है. इसके साथ ही इस योजना को पूरा करने की स्पीड पर ही ब्रेक लग गया है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है...
30 हजार करोड़ का है मामला
वंदे भारत योजना को रेलवे की ओर से यह टेंडर रद्द किए जाने से बड़ा झटका लगा है. 100 वंदे भारत ट्रेन बनाने का ठेका रेलवे ने 30 हजार करोड़ रुपए में निकाला था. तमाम कंपनियों ने इसके लिए दावेदारी पेश की थी. इसके साथ ही फ्रांस की कंपनी आल्सटम इंडिया के साथ बातचीत आखिरी चरण तक पहुंच गई थी और फिर बाद में पैसों को लेकर दोनों के बीच सहमती नहीं बनी. इसके बाद रेलवे ने टेंडर वापस ले लिया.
बताया जा रहा है कि वंदे भारत बनाने के टेंडर पर बातचीत करने वाली कंपनी एल्सटम इंडिया के एमडी ओलिवर लुइसन ने मनीकंट्रोल को बताया कि टेंडर में ऑफर किए गए पैसों को लेकर दिक्कत थी. वंदे भारत ट्रेन एल्युमीनियम बॉडी वाली बनाने के लिए बातचीत चल रही थी, मगर भारतीय रेलवे ने अपना टेंडर ही कैंसिल कर दिया. इस कीमत को हम भविष्य में कम करने पर विचार कर सकते थे, लेकिन रेलवे ने टेंडर ही कैंसिल कर दिया.
यहां फंसी डील
वहीं रेलवे अधिकारियों का कहना है कि प्रति टन 150.9 करोड़ रुपये की मांग फ्रेंच की ओर से टेंडर प्राइस के लिए की गई थी. यह कीमत काफी ज्यादा थी और 140 करोड़ तक हमने लाने की बात कही थी. वहीं एल्सटम ने 145 करोड़ पर डील फाइनल करने की बात भी रेलवे के दबाव में कही थी. इसे 30 हजार करोड़ में कंपनी ने खत्म करने की बात कही थी और इसी कीमत में 100 वंदे भारत रेक्स बनाने का वादा किया था. वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का हर वैगन 120 करोड़ में बनाने का टेंडर इससे पहले फाइनल भी हो चूका है.
रेलवे अधिकारी ने ये भी बताया कि इस टेंडर के कैंसिल हो जाने से रेलवे को अपनी कीमत का आकलन करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही बिडिंग लगाने वाली कंपनियों को अपने प्रोजेक्ट और ऑफर को समझने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही अगली बार हम ज्यादा कंपनियों को टेंडर में शामिल भी करेंगे, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े तो लागत में कमी आए. सिर्फ दो ही बिडर इस बार शामिल हुए थे. बताया गया कि टेंडर के तहत 13 हजार करोड़ रुपये रैक की डिलीवरी पर मिलने थे और 17 हजार करोड़ अगले 35 साल में उसके रखरखाव के लिए दिए जाएंगे.