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रांची/डेस्क: नवरात्रि का 10वां दिन दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सबसे अधिक मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है, जो सकारात्मकता और उत्साह से भरा होता है. दशहरा लंका के राक्षस राजा रावण के अंत का प्रतीक है, जिसने माता सीता का अपहरण किया था और उन्हें महीनों तक बंदी बनाकर रखा था. दशहरा को विजयदशमी या 10वें दिन की जीत के रूप में भी जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
इस साल 12 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है. रावण और उसकी बुरी सेना (बुरे पक्ष) पर भगवान राम (अच्छे पक्ष) की जीत के प्रतीक के रूप में पूरे भारत में कुंभकरण और मेघनाद के साथ रावण के पुतले जलाए जाएंगे.
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को रावण का वध किया था. यही वजह है कि हर साल इस तिथि रावण का पुतला दहन किया जाता है. इसके अलावा इस दिन आयुध पूजा का भी विधान है. लोग विजयादशमी के दिन अस्त्र और शस्त्र की पूजा करते हैं. इसके अलावा विजयादशमी के दिन नए कार्य शुरू किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि दशहरा यानी विजयादशमी का शुभ मुहूर्त और रावण दहन के लिए शुभ समय
श्रवण नक्षत्र कब से कब तक
इस बार दशहरा पर श्रवण नक्षत्र 12 अक्तूबर को सुबह 5 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्तूबर को सुबह 4:27 मिनट पर समाप्त हो रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का होना अति शुभ माना जाता है.
पूजन विधि
विजयादशमी के दिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी की विधिवत पूजा करें. इस दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाना शुभ होता है. ऐसे में विजयादशमी के दिन शमी पेड़ की पूजा करें. विजय दशमी के दिन आयुध पूजन की भी परंपरा है. इसके लिए एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसके ऊपर लाल वस्त्र बिछाएं. इसके बाद घर में मौजूद तमाम अस्त्र शस्त्र को उस पर रखें और फूल, अक्षत, रोली, धूप-दीप आदि उनकी पूजा करें. इसके अलावा इस दिन प्रभु श्रीराम, मां सरस्वती, भगवान गणेश, हनुमान जी और माता दुर्गा का पूजन करें.