केसरीनाथ यादव/न्यूज़11 भारत
दुमका/डेस्क: मसलिया थाना क्षेत्र के गम्हरिया सितपहाड़ी गांव के सड़क किनारे मैदान के पास मवेशियों को हांकते ले जा रहे गिरोह व मवेशियों को ग्रामीणों ने रोक दिया. करीब दोपहर के समय पालाजोरी की ओर से एक सौ की संख्या में मवेशियों को लेकर पैदल हांककर आधा दर्जन लोग राजनगर लेकर जा रहे थे. कुछ ग्रामीणों ने रास्ता रोककर इसका विरोध करने लगे. ग्रामीणों ने बताया कि इस प्रकार सौ दो सौ कभी कभी हजार की संख्या में गो वंशीय पशुओं को बंगाल की ओर प्रताड़ित करते मारते पीटते लेकर जाता है. इस प्रकार की निर्दयता को देखकर अब असहय सा हो गया है. सब जानते हैं कि इन पशुओं की निर्ममता से हत्या बंगाल में होती है. हम सभी अपने आंखों के सामने इस क्रूरता को बर्दाश्त नहीं करेंगे. इसके लिए ग्रामीण अपने जमाबंदी जमीन में चड़का गाड़ कर ले जाने का विरोध पूर्व में कर चुके हैं लेकिन जबरन उसी रास्ते से पशुओं को हाँककर ले जाया जा रहा है. आगे ग्रामीण अक्षय कुमार दास व राजेश मिर्धा ने बताया कि मसलिया थाना से लेकर टोंगरा थाना होते इन पशुओं को एक दिन में हांक कर लेकर जाया जाता है. पूछने पर गिरोह के लोगों ने इसमें शामिल मसलिया थाना क्षेत्र के सुग्गापहाड़ी का सरजहान अंसारी का नाम व राजनगर का नागो का नाम बताया. जो इस गोरखधंधे को विगत दस सालों से करते आ रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि आज तक इस पर कोई भी पुलिसिया कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिस कारण दिन व दिन यह काम बढ़ता जा रहा है. गांव देहात से ओने पोने भाव में पशुओं की खरीददारी करने के बाद एक साथ सौ दो सौ पशुओं को भूखे प्यासे हांककर ले जाया जाता है. मवेशियों को हांककर ले जाने वाला महादेव राणा ने बताया कि पालाजोरी थाना क्षेत्र से राजनगर तक पशुओं को लेकर पार करने पर 12 सौ से 18 सौ रुपये मिलता है. जिसमें दर्जन भर लोग शामिल रहते हैं. बीच में हाईवे स्टेट हाईवे व ग्रामीण क्षेत्रों से बेरोकटोक हांकते हुए ले जाया जाता है. पुलिस गस्ती दल की नजर पड़ने के बाद भी इसपर एक शब्द पूछताछ नहीं करते.
आज तक नही दी गयी है गौ तस्करी को लेकर किसी ने थाने में लिखित आवेदन
यहां गौ तस्करी का गिरोह का फलने फूलने का एक बड़ा बजह यह भी है कि आज तक किसी ने पुलिस प्रशासन को इसकी लिखित शिकायत दर्ज नही कराई है. जिससे पुलिस भी कार्रवाई के नाम पर लिखित आवेदन का बहाना बनाकर कार्रवाई करने से नजरअंदाज करती है. वहीं ग्रामीण भी इसके बारे में गंभीर नहीं है. एक आध बार कुछ हिन्दू संगठनों ने गुमरो व गाड़ापाथर क्षेत्र में इसपर रोक लगाई थी. जिसके बाद पुलिस ने उन मवेशियों को आधार कार्ड लेकर ग्रामीणों के बीच बंटवाया था. जिसके बाद उस रास्ते मे पशु तस्करी बन्द हो गयी है. लेकिन नया नया सटीक व सैफ रास्ता जॉन बनाकर ये लोग इस गोरखधंधे को बरकरार रखा है. हालांकि ग्रामीणों ने एक दो घंटे के बाद अपने जमाबंदी जमीन पर नहीं ले जाने की शर्त पर छोड़ दिया. इसको लेकर जब थाना प्रभारी धनंजय कुमार प्रजापति से उनका मंतव्य जानने का प्रयास किया गया लेकिन फ़ोन ही नहीं उठाया.