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रांची/डेस्क: दुनिया में कई लोग अपने काम को लेकर या घूमने के लिए विमान से सफर करते है. विमानोंका आकर काफी बड़ा होता है. आपने आसमान में खूब बड़े-बड़े विमानों को उड़ते हुए देखा होगा. दुनिया के हर देश में रोजाना कई विमान उड़ते है. यह विमान यात्रियों को पाने मंजिल तक पहुंचाने का काम करती है. लेकिन क्या आपको इस बात के बारे में पता है कि एयरलाइंस अक्सर प्रशांत महासागर के क्यों दूर रहते है. क्यों विमान प्रशांत महासागर के उपरसे नहीं उड़ते है. आइए आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते है.
आपको बता दें कि दुनिया का सबसे बड़ा और गहरा महासागर प्रशांत महासागर ही है. यह पृथ्वी में मौजूद जल सतह के करीब 46 प्रतिशत को कवर करता है. प्रशांत महासागर करीब 15.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. प्रशांत महासागर की गहराई अब तक 13000 फीट तक मापी गई है. दरअसल विमानों का इस महासागर के ऊपर से नहीं उड़ने के कई कारण है. आपको यह तो मालूम है कि धरती का आकार गोल है. ऐसे में यहां सीधा रास्ता छोटो नहीं, नालकी काफी लंबा होगा. शेफील्ड स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स के मुताबिक़, जमीन पर सीधा रास्ता लेने के बजाय अगर घुमावदार रास्ता लिया जाए, तो यात्रा छोटी हो जाती है और ईंधन दक्षता में भी सुधार होता है. प्रशांत महासागर काफी बड़ा अहै और फैला हुआ है. इसे पार करने में काफी ज्यादा मात्रा में ईंधन लग जाएगा. विमानों को लंबी दूरी तय करने के लिए ईंधन भरने के लिए रुकना पड़ता है. लेकिन विमानों का महासागर में रुकना मुमकिन नहीं है.
इसके अलावा प्रशांत महासागर में मौसम काफी खराब होता है और तूफान, तेज हवाएं काफी चलती है. तटीय हवाई अड्डे से कुछ घंटों के भीतर रहने वाले रूट को एयरलाइंस सुरक्षित आपातकालीन लैंडिंग विकल्प सुनिश्चित करने के लिए तरजीह देते हैं. तकनीकी समस्याओं या मेडिकल आपात जैसी स्थितियों को प्रशांत महासागर के ऊपर सीधे उड़ान भरने से आपातकालीन लैंडिंग साइटों की मौजूदगी काफी कम हो जाती है.