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रांची/डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि एयर होस्टेस की स्लिम बॉडी के पीछे सिर्फ खूबसूरती का ही कारण नहीं, बल्कि एक और बड़ी वजह भी हो सकती है? जी हां, एयरलाइंस कंपनियां अपनी फ्लाइट अटेंडेंट्स से ऐसा होने की उम्मीद करती हैं, और इसके पीछे एक दिलचस्प और हैरान करने वाली वजह है. वह है फ्लाइट का वजन!
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एयरलाइंस, खासकर Hainan Airlines (चीन) और Air India (भारत) जैसी कंपनियां, फ्लाइट अटेंडेंट्स के वजन को लेकर बहुत गंभीर हैं. अगर किसी एयर होस्टेस का वजन ज्यादा हो, तो उन्हें ग्राउंड स्टाफ में ट्रांसफर किया जा सकता है. लेकिन क्यों? दरअसल, एयरलाइंस कंपनियां जानती हैं कि एक किलो अतिरिक्त वजन का फ्लाइट पर सीधा असर पड़ता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर फ्लाइट में 1 किलो ज्यादा वजन होता है, तो एयरलाइंस को एक घंटे के लिए 3 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं. ऐसा कर के कंपनियां साल भर में करोड़ों रुपये बचा सकती हैं.
उदाहरण के लिए, जेट एयरवेज ने एक बार इस वजह से फ्लाइट अटेंडेंट्स का वजन चेक करने का फैसला लिया था. यह इस लिए था ताकि एयरलाइंस कम वजन वाली फ्लाइट्स चला सकें और ऑपरेशनल खर्चों में कटौती कर सकें.
लेकिन यहां बात सिर्फ पैसों की नहीं है. एयर होस्टेस के लिए इमरजेंसी स्थिति में अपनी भूमिका निभाना बेहद जरूरी होता है. एक ओवरवेट फ्लाइट अटेंडेंट को इमरजेंसी के दौरान यात्रियों की मदद करने में परेशानी हो सकती है. फ्लाइट अटेंडेंट्स को इमरजेंसी में तेज़ी से काम करना होता है, और ज्यादा वजन के कारण उनकी शारीरिक सक्रियता में कमी आ सकती है, जो कि पूरी फ्लाइट की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकती है.
इसके अलावा, एयरलाइंस कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के मानक भी तय करती हैं. पुरुषों के लिए यह 18-25 और महिलाओं के लिए 22-27 के बीच होना चाहिए. अगर कोई कर्मचारी इन मानकों से बाहर होता है, तो उसे वजन कम करने या फिर किसी अन्य भूमिका में शिफ्ट होने के लिए कहा जा सकता है.