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रांची/डेस्क: Sweden में 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर स्क्रीन टाइम पूरी तरह से बैन कर दिया गया हैं. ऐसा मानना है कि इसका असर बच्चों पर बुरा पड़ता हैं. कई रिसर्च के मुताबिक यह बात पता चली है कि ज्यादा स्क्रीन के इस्तेमाल से बच्चों और Teenagers में Sleep Disorder, Anxiety, Depression और Autism जैसी समस्याएं ज्यादा हो रही हैं. Screen Time ज्यादा बढ़ने के कारण Physical Activity भी लगातार कमी होते जा रही है, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं हैं. Sweden Government ने अपने Advisory में यह कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को टीवी और मोबाइल फोन समेत किसी भी स्क्रीन के इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं हैं.
कुछ देशों में पहले से है यह Advisory
America, Ireland, Canada, Australia और France जैसे देश पहले ही बच्चों के लिए ऐसी Advisory जारी कर चुके हैं. जब की France में दो नहीं बल्कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन पूरी तरह से बैन की जा चुकी हैं.
भारत में है यह जरुरी
बाकी देशों की तरह हमारी भारत में भी ऐसी Advisory की सख्त जरुरत हैं. इस बात को लेकर कई भारतीय Eye Specialist और Psychiatrist ने अपनी सहमति जताई हैं.
क्या है उस Advisory में?
- 2 से 5 साल तक के बच्चे पूरे दिन में अधिकतम एक घंटा ही स्क्रीन देख सकते हैं.
- 6 से 12 साल तक के बच्चे पूरे दिन में अधिकतम 2 घंटा ही स्क्रीन देख सकते हैं.
- Teenagers पूरे दिन में अधिकतम 3 घंटा ही स्क्रीन देख सकते हैं.
आंखें है कीमती, इनका रखें ख्याल
डॉक्टर्स का ऐसा मानना है कि लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों पर Digital Stress, Dry Eye Disease यानी सूखी आंखें, Myopia यानी Near Sight Problem जैसी समस्या हो सकती हैं. रिसर्च के मुताबिक China और Korea जैसे देश में तो 50% बच्चों को Myopia हो रहा हैं.
वहीं AIIMS की Pediatric Neurology की HOD डॉक्टर शेफाली गुलाटी ने यह बताया है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम से Autism Spectrum Disorder (ASD) का खतरा हो सकता हैं. जबकि 2022 में जापान में हुई एक स्टडी के अनुसार एक घंटे से भी कम स्क्रीन टाइम के कारण तीन साल के बच्चों में ASD का खतरा 38 प्रतिशत बढ़ गया हैं. यहां तक की दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम के साथ यह खतरा तीन गुना ज्यादा हो गया हैं. इसका मतलब जितना ज्यादा स्क्रीन टाइम, उतना ज्यादा Autism का खतरा.
क्या है इनके नुकसान?
- ज्यादा टाइम स्क्रीन पर देखने से इसका असर मन पर होता हैं. बच्चों के दिमाग पर नेगेटिव चीजें हावी होने लगती हैं.
- स्क्रीन की आदत बच्चों में Anxiety पैदा कर सकता हैं. जिससे बच्चें ठीक से सो नहीं पाते हैं.
- ज्यादा स्क्रीन टाइम से उनके Focus में कमी आती है और वह Depression का शिकार हो जाते है, साथ ही चिड़चिड़े या निराश महसूस करते हैं.
- अधिक समय स्क्रीन पर रहने से वह सोशल नहीं हो पाते, जिसके कारण वह किसी से खुल कर बातचीत नहीं करते हैं.
- ज्यादा स्क्रीन टाइम Personality Development में बाधा बनता है और अपना ध्यान किसी भी काम में नहीं लगा पाते हैं.
क्या है इनका उपाय?
- कम उम्र के बच्चों को मोबाइल न दे और उनके साथ समय बिताएं.
- यह कोशिश करे कि स्क्रीन छोटी न हो, जिससे उनकी आंखों पर जोर देना पड़े.
- बड़ी स्क्रीन भी ज्यादा देर नहीं देखने दें.
- जब भी उन्हें मोबाइल दें तो खुद Supervise भी करें, क्या देख रहे है और कितने समय तक देख रहे हैं.