आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: गर्मी के दस्तक के साथ ही जल संकट गहराने लगा हैं. कई ऐसे इलाके है जहां लोगों को पीने के पानी के लिए हर दिन जद्दोजहद करना पड़ता है. कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड के डगरनवां पंचायत के टेपरा गांव में लोगो को चुआ खोदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है.
कोडरमा जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित जंगलो से घिरे डगरनवां पंचायत का ये है टेपरा गांव. यंहा 200 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं, जिन्हें हर दिन पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता हैं. आलम यह है कि इस गांव की महिलाओं को अपना ज्यादा समय पानी के लिए संघर्ष करने में बिताता है. चुआ खोदकर पानी भरती महिलाओं ने बताया कि गांव में पानी की काफी बड़ी समस्या है. गांव के किनारे से गुजरती नदी से महिलाएं बालू में गड्ढा खोदकर बूंद-बूंद पानी इकट्ठा करती हैं और अपनी प्यास बुझाती हैं . ग्रामीणों की माने तो नदी के दूषित पानी को पीकर बच्चे और बड़े अक्सर बीमार भी पड़ते रहते हैं.
इस पानी का इतेमाल ये ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने और खाना बनाने समेत अन्य कार्यो में करते हैं. ग्रामीणों की माने तो गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने पर मजबूरन लोगों को नदी किनारे बालू से पानी की बूंद-बूंद व्यवस्था करनी पड़ती है. गांव के निवासी बड़कू टुडू ने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के द्वारा गाँव मे एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत सोलर आधारित 5000 लीटर का जल मीनार साल 2020 में लगाया गया था, लेकिन बोरिंग फेल हो जाने के कारण बन्द है. जल मीनार में लगे स्टार्टर, स्विच बोर्ड और मोटर को कर्मी अपने साथ लेकर चले गए.
ग्रामीणों की इस समस्या पर उपायुक्त कोडरमा मेघा भारद्वाज ने बताया कि टेपरा गांव वन क्षेत्र में बसा हुआ है, जहां नई जलापूर्ति योजना के लिए वन विभाग की एनओसी जरूरी है. फिलहाल एक बोरिंग और कराई गई है जिससे ग्रामीणों को थोड़ी सहूलियत होगी. समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक विकास का दवा भले सरकार करती हैं, लेकिन उन दावो की हकीकत बयां करती यह तस्वीर काफी है.