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रांची/डेस्क: आज गोवर्धन पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा हैं. इस पर्व को अन्नकूट भी कहा जाता हैं. इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था. कहा जाता है कि इसके द्वारा भगवान कृष्ण ने इंद्र को उनके गलती का एहसास करवाया था. तब से गोवर्धन पूजा की परंपरा हर साल निभाई जा रही हैं.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में गोवर्धन पूजा मनाया जाता हैं. इस वर्ष गोवर्धन पूजा की तिथि 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर को रात 8:21 बजे तक हैं. पूजा के लिए तीन विशेष शुभ मुहूर्त हैं:
- प्रातःकालीन मुहूर्त: सुबह 6:34 बजे से सुबह 8:46 बजे तक
- दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 3:23 बजे से शाम 5:35 बजे तक
- सायंकालीन मुहूर्त: शाम 5:35 बजे से शाम 6:01 बजे तक
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा के दिन, सबसे पहले सुबह स्नान करें. उसके बाद गाय के गोबर से घर के द्वार पर गोवर्धन पर्वत की अलग-अलग आकृतियां बनाएं. गोबर से ग्वाल-बाल और वृक्षों की आकृति बनाकर बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्थापित करें. इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं और गोवर्धन पूजा की कथा का श्रवण करें. अंत में प्रसाद का वितरण कर भोजन ग्रहण करें.
अन्नकूट भोग और पूजा सामग्री
इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है, जिसमें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जियां और पत्तेदार साग शामिल होता हैं. गायों की पूजा में उनका श्रृंगार किया जाता है और उन्हें फल, फूल, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता हैं. गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा फूल, दीप और धूप से की जाती हैं.
गोवर्धन पूजा के उपाय
1. संतान प्राप्ति: गोवर्धन पूजा के दिन पंचामृत बनाएं और उसमें गंगाजल व तुलसी डालें. इसके बाद भगवान कृष्ण को शंख में पंचामृत अर्पित करें और "क्लीं कृष्ण क्लीं" मंत्र का 11 बार जाप करें. इससे संतान प्राप्ति की सभी इच्छाएं पूरी होगी.
2. सुख-समृद्धि की प्राप्ति: सुख-समृद्धि के लिए इस दिन गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें और उसे फल व चारा खिलाकर उसकी सात बार परिक्रमा करें. जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं.
धार्मिक मान्यता और कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी. इसके बाद से हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाने की परंपरा हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाकर गोवर्धन पर्वत का पूजन किया जाता है, जो समृद्धि और संतोष का प्रतीक हैं.
गोवर्धन पूजा का पर्व धर्म और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक है, जिसमें भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर वर्ष श्रद्धालु बड़े ही हर्षोल्लास से इसे मनाते हैं.