संतोष कुमार/न्यूज़11 भारत
सरायकेला/डेस्क: सरायकेला खरसवां जिला के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत कुकड़ु प्रखण्ड क्षेत्र के पारगामा पंचायत अंतर्गत चुनचुरिया स्थित गिरीधारी कालकेंद्र की और से आठ कलाकार मानभूम छौ कला संस्कृति प्रदर्शन करने के लिए भारत के बाहर इंडोनेशिया गए थे. कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए सरायकेला खरसवां जिला के जिप उपाध्यक्ष मधुश्री महतो ने सम्मान सभा का आयोजन किया. जहां कलाकारों ने मानभूम छऊ कला का प्रदर्शन किया वहीं जिप उपाध्यक्ष ने मुखोश तथा मोमेंटो देकर विदेश से छऊ प्रदर्शन कर लौटे कलाकारों को भेट किया.
जिप उपाध्यक्ष मधुश्री महतो सरायकेला खरसांवा:
जिप उपाध्यक्ष ने कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जहां एक तरफ हमारे मानभूम क्षेत्र में हमारी कला संस्कृति छौ नृत्य विलुप्त होते जा रहा है वहीं इस कलाकेंद्र द्वार विदेशों में इसका प्रदर्शन क्षेत्र और झारखंड के साथ में पूरे देश के लिए गौरव का विषय है,उन्होंने कहा कि मेरे और सभी कलाकारों को हार्दिक अभिनन्दन और बधाई है.
आगे उन्होंने कहा कि हमारी और से कलाकारों के लिए सरकार की और से जो भी सहायता दिया जाता है उसको दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा.
सिल्ली एकेडमी के छौ उस्ताद गंभीर महतो:
गंभीर महतो ने बताया की हमारे लिए एक बहुत ही गौरभ का विषय हे जो आज हमारे द्वारा गिरिधरी कलाकेंद्र चुनुचुरिया में प्रशिक्षण देकर आठ कलाकारों को विदेश ले जाने का मौका मिला था. उन्होंने कहा कि हमारे पिताजी नारायण महतो जो 1987 में स्विट्जरलैंड,लन्दन आदि देश जा चुके है और हमने भी इससे पहले एक बार 2011 को विदेश जाने का मौका मिला था तो जेनेवा गए थे,दोबारा हमको इंडोनेशिया जाने का मौका मिला, इससे हमारे गांव के साथ-साथ प्रखंड तथा जिला एवं राज्यों के लिए भी विशेष गौरव की बात है. इसबार मेरे पुत्र सुकदेव महतो और अनुज भ्राता रमेश महतो के साथ में अन्य पांच कलाकार करम चांद महतो चुनचुरिया,विश्वनाथ महतो चुनचुरिया,लखीराम नायक सिल्ली,दीपक कुमार महतो जानूम,लखीकांत महतो कुशपुतुल के साथ विदेश गए थे. सभी कलाकार इंडोनेशिया में अलग अलग किरदार निभाएं कुछ कलाकार वाद्ययंत्र तो कुछ के द्वारा छौ कला प्रस्तुक किया गया था.उन्होंने आगे कहा कि हमलोग का आने जाने को मिलाकर कुल आठ दिन का कार्यक्रम था एवं विदेश में भी हमलोग अपना छौ संस्कृति का सारा प्रस्तुतीकरण क्षेत्रिय बंगला भाषा एवं मानभूम मुखोश (मास्क) लगाकर, ढोल,नगाड़ा तथा शहनाई के सुर द्वारा प्रस्तुत किया था.
मौके पर खिरोद सिंह छऊ उस्ताद, नारायण महतो, चैतन माझी, दीपक महतो, रुईलू माझी, बिरसिंह महतो, निशिकांत माझी, अजीत प्रसाद महतो, सिदाम महतो, सीकांत महतो, मिहिर लाल महतो, सुरेन कालिंदी आदि उपस्थित थे.