आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: पूरे देश में 1 जुलाई से नया कानून लागू हो गया है. आईपीसी की जगह बीएनएस भारतीय न्याय संहिता प्रभावी हो गया है. भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के पहले दिन कोडरमा के तिलैया और कोडरमा थाना क्षेत्र में मोटरसाइकिल चोरी के दो अलग-अलग मामले 303 (2) के तहत दर्ज किए गए, वहीं तिलैया डैम ओपीक्षेत्र के कांटी में विवाहिता सरिता देवी के दहेज हत्या का मामला भारतीय न्याय संहिता के धारा 103/3 (5) के तहत जयनगर थाने में दर्ज की गई है.
इस मामले में मृतका के पिता ने पति समेत ससुराल पक्ष के चार लोगों के खिलाफ जहर देकर हत्या करने का मामला दर्ज कराया है. एक्ट में बदलाव और संशोधन के साथ पुलिस की कार्य प्रणाली को भी भारतीय न्याय संहिता में काफी प्रभावी बनाया गया है. साथ ही अनुसंधान की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसे लेकर पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. आईपीसी के जगह भारतीय न्याय संहिता और सीआरपीसी के जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने जगह ले ली है.
पुलिस पदाधिकारी को एफआईआर दर्ज करने से लेकर उसके अनुसंधान और चार्जशीट के साथ न्यायालय पेश करने वाले सबूत की विस्तृत जानकारी दी जा रही है. पुलिसकर्मियों को अनुसंधान के दौरान घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करना जरूरी होगा, जबकि गवाहों और आरोपियों के रिकॉर्ड बयान न्यायालय को उपलब्ध कराना होगा. ऐसे में पुलिस कर्मियों को मोबाइल फ्रेंडली भी बनाया जा रहा है.
आज एसडीपीओ जितवाहन उरांव की अगुवाई में जिला पुलिस मुख्यालय में पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई. इस मौके पर उन्होंने तमाम पुलिस पदाधिकारी को आज से नए कानून के तहत मामले दर्ज करने का निर्देश दिया है. एसडीपीओ जितवाहन उरांव ने बताया कि आईपीसी में जहां 511 धाराएं थी वहीं अब भारतीय न्याय संहिता में 358 एक्ट है. हत्या, महिला प्रताड़ना, दुष्कर्म जैसे मामलों के धाराओं में संशोधन किया गया है और कई धाराओं को मर्ज कर एक नया कानून तैयार किया गया है, जो पहले से ज्यादा प्रभावी साबित होगा.
इसके तहत कार्य करने में न सिर्फ पुलिस को अपनी प्रक्रियाओं को बदलना पड़ेगा बल्कि अनुसंधान के साथ ही तमाम सबूत न्यायालय में सुपुर्द किए जाने से पीड़ित को त्वरित न्याय मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता के तहत जीरो एफआइआर आम लोगों के लिए काफी कारगर साबित होगा और इसके तहत थाने जाकर मामला दर्ज करने की बाध्यता भी नहीं रहेगी. घटनास्थल से ही पीड़ित किसी भी माध्यम से आवेदन देकर मामला दर्ज कर सकते हैं.