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रांची/डेस्क: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और आज 1 अप्रैल, 2025 को इसका तीसरा दिन है, जो मां चंद्रघंटा की आराधना के लिए समर्पित हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममतामय है, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता हैं. नवरात्र के तीसरे दिन को मां चंद्रघंटा के आशीर्वाद से समृद्धि और शांति की प्राप्ति का विशेष अवसर माना जाता हैं. इस दिन माता की पूजा-अर्चना में विशेष ध्यान देते हुए भक्तगण मां के शांत, सौम्य और ममतामय स्वरूप का स्मरण करते हैं. मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, जिससे उनका नाम 'चंद्रघंटा' पड़ा. उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकता हैं. दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-वस्त्र धारण किए हुए है और उनका वाहन सिंह हैं. यह स्वरूप शक्ति और शांति का अद्भुत संगम हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:39 बजे से 5:25 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:50 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:20 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:38 बजे से 7:01 बजे तक
पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- पूजा स्थल को शुद्ध करके मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
- मां को कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, चंदन और विशेष रूप से पीले रंग के फूल अर्पित करें क्योंकि पीला रंग मां को अत्यंत प्रिय हैं.
- मां को केसर युक्त खीर या दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं.
- पूजा के दौरान मंत्र का जाप करें.
मां चंद्रघंटा का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता.
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्.
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्.
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्.
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्.
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग
नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ रंग लाल माना जाता हैं. पूजा के लाल वस्त्र धारण करना और लाल फूलों का प्रयोग करना शुभ फलदायी होता हैं.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।