आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा में स्कूल और कॉलेज जाते स्टूडेंट्स को बीमारी का खतरा बढ़ गया हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है सिमडेगा का महत्वपूर्ण सड़क का जर्जर होना. सिमडेगा शहरी क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण रोड आज इतना जर्जर हो गया है कि यहां पैदल चलना भी बीमारी को न्योता देना हैं. सिमडेगा डीसी आवास के बगल से सिमडेगा कॉलेज तक जाने वाली डेढ़ किलोमीटर लंबी इस रोड से होकर स्टूडेंट्स कॉलेज और अन्य स्कूल आते जाते हैं. इसी रोड के रास्ते साप्ताहिक बाजार, एथलेटिक्स स्टेडियम सहित एक बड़ी आबादी वाले इलाके के लोग भी आते जाते है लेकिन इस रोड की स्थिति आज इतने जर्जर हो गई है कि यहां हमेशा धूल उड़ता रहता है, जिससे इस रोड से आने जाने वाले स्टूडेंट्स के ड्रेस आदि गंदे होने के साथ साथ धूल भरी सांस से उन्हें बीमारी का खतरा भी बढ़ गया हैं.
यही नहीं इस रोड किनारे रहने वाले दुकानदार भी रोड को इस बदली का दंश झेल रहे हैं. उनकी दुकानों में धूल भर जाता है, जिससे सामान खराब होने लगते हैं. दुकानदार सुमति कुमारी ने बताया कि पिछले दो माह से वे लोग परेशान हैं. इस सड़क किनारे रहने वाले पूर्व विधायक बसंत लोंगा भी सड़क की इस बदली से परेशान हैं. बसंत लोंगा ने कहा कि जिला प्रशासन इस सड़क को मरम्मत करने की जिम्मेदारी नगर परिषद को दी है जबकि नगर परिषद को सिर्फ गलियों में नली और छोटी पीसीसी बनाने का अनुभव हैं. अब नगर परिषद भी इस सड़क को मरम्मत करने का काम ऐसे संवेदक को दी है, जिससे पास ना तो कालीकरण करने का अनुभव है और ना हो इस संवेदक के पास कालीकरण सड़क निर्माण का कोई उपकरण हैं. जिसका नतीजा है कि चींटी की चाल से जैसे-तैसे संवेदक कार्य करता है फिर कुछ दिन छोड़ देता हैं. अब ऐसे में कैसे बनेगा ये सड़क संवेदक ने जहां-तहां गड्ढा खोद दिया है जिससे धूल उड़ रही हैं. उनका कहना है कि यह सड़क सिमडेगा की सकेंड लाइफलाइन है, लेकिन इस सड़क के प्रति प्रशासन उदासीन बनी हुई.
धूल भरे रास्तों से स्टूडेंस का लगातार आवागमन उनकी जान पर भी आफत ला सकती हैं. सिमडेगा के सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान ने कहा कि लगातार धूल भरे रास्तों पर चलने से लंग्स में इन्फेक्शन हो जाएगा जो बाद में चलकर जीवन के लिए खतरा पैदा करेगा.
सिमडेगा के मेन रोड में जब जाम लगता है तो सभी वाहन कॉलेज के इसी रोड से निकलते हैं. ऐसे महत्वपूर्ण रोड को जल्द ठीक नहीं करवाया जाएगा तो स्थिति और बद से बदतर हो जाएगी, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी लम्बी बीमारी के गर्त में समा जाएगी.