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रांची/डेस्कः- एक रिपोर्ट में बड़ा चौकाने वाला खबर सामने आया है जिसमे कहा जा रहा है कि 14 फीसदी महिलाएं अभी भी पत्नी को पीटने को सही ठहराती है. इससे आप पता लगा सकते हैं कि पितृसत्तात्मक सोच कितनी गहरी बैठी हुई है. रिपोर्ट से ये भी पता चला है कि 50 परसेंट लोग अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों को गलत ठहराया है.
इंडिया टूडे ने एक सकल घरेलू व्यवहार सर्वेक्षण में बताया है कि 21 राज्यो के 9,188 लोगों के पता चला है कि 93 फीसदी लोग बेटियों को बेटे के बराबर शिक्षा देने में सहमति जता रहे हैं. वहीं 84 फीसदी महिलाओं के नौकरी के समर्थन में है. लेकिन इसके बाद भी 69 फीसदी लोग का मानना है कि घरेलू फैसला पुरुषों का ही होना चाहिए.
पर चौंकाने वाली बात ये है कि 14 फीसदी महिला अपने पति के द्वारा पीटना सही ठहरा रही है.
मैकेंजी के एक अध्ययन में कहा गया है कि यदि पुरूषो के भागीदारी के जैसा ही महिलाओँ की भागीदारी हो जाए तो जीडीपी में 27 फीसदी की बढ़ोत्तरी होने की संभावना बढ़ सकता है. अभी फिलहाल सिर्फ 41 फीसदी ही है. चीन में 60 प्रतिशत, अमेरिका मे 58 प्रतिशत है. भारत में भले ही 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन सामाजिक सोच अभी भी काफी धीमें हैं. प्रगतिशील सोच के बावजूद पितृसत्तात्मक मानसिकता समाज में हावी है.
सुरक्षा भी एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है, 86 प्रतिशत लोग परिवहन में अपने आप को सुरक्षित महसूस करती है. लेकिन महिला के आवाजाही पर पाबंदिया लगाने से आर्थिक अवसर को सीमित करता है. जापान जैसे बिकसित देशों मे बिना डरे महिलाएँ देर रात तक काम कर सकती है. भारत में भी महिलाओँ को देश की आर्थिक हिस्सेदारी में हिस्सा बनकर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहिए.