इस अवैध कारोबार से सरकार को लाखों रुपए राजस्व की हो रही क्षति, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौन
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले में बालू घाटों का घोर अभाव है. इसलिए हर जगह बालू की कमी है. बालू के अभाव में निर्माण संबंधी सभी कार्य स्थगित है. हालांकि यह भी सच है कि पहले घाट नहीं थे. इसके बावजूद आम लोगों को काफी रियायती दर पर बालू की आपूर्ति होती थी. औसतन एक ट्रैक्टर बालू एक हजार से बारह सौ रुपये में मिल जाता था. जब यह उपलब्धता थी, तब बालू की कमी नहीं थी. बालू के अवैध खनन व परिवहन से सरकार को हर माह लाखों रुपये के राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर बालू माफिया, पुलिस, खनन विभाग खूब कमाई कर रहे है. इसे रोकने के मामले में जिला प्रशासन व संबंधित विभाग के पदाधिकारी चुप्पी साधे हुए है. साथ ही प्रशासन के विभिन्न अंगों द्वारा इस व्यवस्था में कोई छेड़छाड़ भी नहीं की गई. लेकिन पिछले दो वर्षों से बालू के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. वर्तमान में बालू ढाई से तीन हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर मिल रहा है. एनजीटी के कारण बरसात के चार महीने में बालू चार हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर व इससे अधिक में बिकता है.आमतौर पर नदियों से मुफ्त में बालू का उठाव होता है. जहां भी नदी है, वहां आम लोग बालू का उठाव बंद नहीं करते. इस काम में शामिल सप्लायर सिर्फ मजदूरी और ट्रैक्टर का किराया लेते है. कुल लागत आठ सौ रुपये आती है. यानी एक ट्रैक्टर बालू की आपूर्ति में दो हजार से अधिक का मुनाफा है. हर दिन सौ से अधिक ट्रैक्टर अलग-अलग इलाकों से बालू का उठाव करते है. मोटे मुनाफे के चलते मुट्ठी भर लोग पूरे रैकेट को बड़ी चालाकी से संचालित कर रहे है. प्रशासन थोड़ी सख्ती करता है तो आपूर्ति बंद कर दी जाती है और कीमत बढ़ा दी जाती है. सख्ती के बीच काफी कम उम्र और अप्रशिक्षित ड्राइवरों को बालू उठाव और आपूर्ति के लिए लाया जाता है. ऐसे ड्राइवर काफी तेज गति से वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. महज एक महीने में दो ड्राइवर दुर्घटना का शिकार हो गए और कम उम्र में ही उनकी मौत हो गई.
कहां से होता है बालू का उठाव
प्रखंड में मुख्य आपूर्ति मयूरहंड के पेटात्री, इटखोरी के मुहाने पर स्थित नदी, बिहार के भलुआ के साथ भगहर में बहने वाली तीन नदियां, दैहर, ताजपुर, चौपारण, चोरदाहा, रामपुर, चपरी के जंगलों की छोटी-छोटी नदियां और नदियां है. इन इलाकों से हर दिन भारी मात्रा में बालू का उठाव होता है.
भगहर घाट की हुई थी अनुशंसा, वन विभाग ने जताई थी आपत्ति
जिला प्रशासन ने पिछले वर्ष हर प्रखंड से बालू घाट से संबंधित नदी के संबंध में अंचल से रिपोर्ट मांगी थी. तत्कालीन प्रभारी सीओ प्रेमचंद सिन्हा ने भगहर नदी की अनुशंसा भी की थी. लेकिन जिला स्तरीय बैठक में वन विभाग ने भौगोलिक दृष्टि से वन क्षेत्र में पड़ने वाली नदियों का हवाला देते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी. इस कारण भगहर में बालू घाट नहीं बन सका. अब प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर उसी भगहर नदी, ढाढर नदी से बालू लाकर बाजार में बेच रहे है. लेकिन इस पर न तो वन विभाग रोक लगा पा रहा है और न ही अंचल ? इसलिए सस्ते दर पर बिकने वाला बालू तीन गुना अधिक कीमत पर खरीदा जा रहा है. इस कारण गरीब वर्ग के लोगों को घर बनाने में परेशानी हो रही है.