न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- इंडिया टूडे ग्रुप ने हाउ इँडिया लिव्स औऱ कैंडेस इंटरनेशनल दोनों एक साथ मिलकर सकल घरेलु व्यवहार का एक सर्वे करवाया है. जिसमें बताया गया है कि आखिर महिला पुरूष की समानता व शिष्टाचार कहां खड़ा है. इस सर्वे का खास मकसद यही है कि राज्य शिष्टाचार, सिविक सेंस, इंसानियत, सभ्यता, दया, सहानुभुति व महिला पुरूष के बीच की समानता के मामले में कहां खड़ा है.
जिस प्रकार से देश की आर्थिक हालात को समझने के लिए जीडीपी के जरिए मापा जाता है वहीं शिष्टाचार व व्यवहार को मापने के लिए सकल घरेलू व्यवहार (Gross Domestic Behaviour Survey) का प्रयोग किया जाता है.
क्या बेटी-बेटा बराबर नहीं
जब एक सर्वे में पूछा गया कि क्या समाज मे बेटा बेटी एक समान है, दोनों को एख सामान पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, इसपर 93 फीसदी लोगों ने हां में वहीं 6 फीसदी लोगों ने न में अपनी सहमति जताई.
98 प्रतिशत लोग मानते हैं कि बेटा-बेटी बराबर
सर्वे में ओड़िसा के लगभग 98 प्रतिशत लोग मानते हैं कि बेटियों को बेटे के समान ही शिक्षा मिलना चाहिए. जबकि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आर्थिक विकास के मामले में टॉप पर काबिज गुजरात के लगभग 22 फीसदी उत्तरदाता इस बात से सहमति नहीं रखते कि बेटियों को बेटे के अनुसार ही शिक्षा मिलनी चाहिए.
आंध्राप्रदेश की स्थित दयनीय
स्त्री पुरूष के बीच समानता की बात करें तो दक्षिण भारत में इन राज्यों का हाल बेहाल दिख रहा है. एक सवाल किया गया कि क्या पति के द्वारा पत्नि को पीटा जाना सही है अगर वो घर के मामलों में आपत्ति जता रही हो.इसमें 83 फीसदी लोगों ने असहमति जताई है वहीं 16 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया है. आंध्रप्रदेश के लगभग 31 प्रतिशत उत्तर देने वाले लोग इसके पक्ष में हैं वहीं उत्तराखंड में 98 फीसदी लोग इस तरह के हिंसा के खिलाफ है.