50 हजार लीटर क्षमता की बनाई गई थी जलमीनार, पीएचईडी और एनएचआइ अब एक दूसरे को दें रहे दोष
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: करोड़ों की लागत से पब्लिक यूटिलिटी के तहत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा बरकट्ठा प्रखंड मुख्यालय मे गया जल मीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है. पांच साल के बाद भी बूंद पानी क्षेत्र के लोगों को इससे नसीब नहीं हो सका है. अब लोग पूछ रहे है कि आखिर यह जलमीनार किसके फायदे के लिए बनाया गया था. परंतु सवाल पर जवाब देने वाला कोई नहीं है. पचास हजार लीटर क्षमतावाला यह पानी टंकी इन्टेक वेल वाटर प्रोसेसिंग के तहत संचलित होना था. योजना था कि प्लांट से शुद्ध पेय जल का प्रखंड मुख्यालय में रहने वाले लोगों को उपलब्ध कराया जाता. परंतु आज भी यह लालफीता शाही और अकर्मण्यता के कारण अधूरा रह गया.
जलमीनार से बरकट्ठा बाजार रोड, बाजार टॉडू, मललाह टोली, डाकडीह, परवत्ता के ग्रामीणों को नल के माध्यम से घरों तक शुद्ध जल देने की योजना बनी थी. इसी के का तहत करोड़ों रुपए खर्च कर इसका निर्माण कराया गया. निर्माण के कारण क्षेत्र के लोगों की आस जगी थी कि बरकट्ट्ठा में बनी जलमीनार जानारण उनके घर में अब नल से जल आएगा. परंतु विभागीय लापरवाही के कारण जल मीनार बनाया गया, लेकिन घरों तक पानी पहुंचाने के लिए पर्याप्त पाइप हीं नहीं बिछाया गया. पानी पाइप बिछाने का काम एनएच 2 चौड़ीकरण कार्य कर रही रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को करना था. जानकारी के अनुसार सड़क किनारे पानी पाइप को पब्लिक यूटिलिटी के तहत रेज कर कनेक्टिविटी का कार्य करने का जिम्मा लेने के बाद कंपनी ने मौन साध लिया.
कहीं निर्माण कार्य हुआ भी तो आधा अधूरा. संवेदक ने जैसे-तैसे काम को निपटा, इसकी खानापुर्ति कर दी. विभागीय उदासीनता के कारण जलमीनार बना चुके विभाग के संवेदक ने लापरवाही के कारण वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर कोई काम ही नहीं किया. बाद में इस पर इन्टेक वेल से डायरेक्ट वाटर अपलिफ्ट कर टंकी में स्टोर करने का प्रयास किया गया था, परंतु यह सफल नहीं हो सका और मशीन खराब हो गई. बरकट्ठा विधायक अमित यादव ने मामला को विधानसभा में भी उठाया था. इसके बाद तीन साल बाद पहली वार विभागीय पदाधिकारी योजना का निरीक्षण करने पहुंचे. इस पर सकारात्मक पहल करने की बात कही गई. लोगों को लगने लगा था कि शायद जलमीनार का उद्देश्य अब जल्द ही पूरा होगा. पर विडंबना है कि विभागीय अधिकारियों ने अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया.
न बिजली के पोल हटे, न ही बिछाई गई पाइप
संवेदक द्वारा बिजली के पोल हटाने की बात कहीं गई थी. कहा गया था कि विभाग से अनुमति प्राप्त हो गई है बिजली के पोल हटा देंगे और पाईप लगा देंगे. परंतु जमीन के नीचे वाटर पाइप की कनेक्टिविटी भी नहीं हुई ना सड़क किनारे बिजली के 33 हजार व एलटी 11 हजार, के खंभों को अबतक शिफ्ट किया जा सका. परिणाम हुआ कि पीएचडी विभाग के साथ-साथ एनएचएआई ने पब्लिक यूटिलिटी के नाम पर अब आश्वासन हीं दे रहे हैं.
विष्णुगढ़ में भी जलमीनार बनीं शोभा की वस्तु, प्यासे हैं कंठ
विष्णुगढ़ प्रखंड के भेलवारा के एक दर्जन से अधिक गांवों में लगाए गए जल मीनार हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. इन मीनारों से एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. बताया गया कि भेलवारा के केंदुआ, पसेरी, बेलाटांड, महुआटाङ, तिलैया, पुरनापानी, अंबाकोचा, गालगो. सियारी आदि गावों में जल मीनार का निर्माण कार्य एक साल पूर्व किया गया था. एक दो जगहों को छोड़ कर कहीं निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया है. प्रदेश भायुमोर्चा सदस्य संतोष कुमार एवं समाजसेवी गंगाधर महतो कहते हैं जहां कहीं जल मीनार का कार्य पूरा भी किया गया है, वहां भी सुचारू रूप से ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. खासकर आदिवासी गांवों के ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दूर जाना पड़ रहा है. कुसंभा पंचायत के बरहमोरिया, महतवैया, अलखरी खुर्द, अलखरी कला जमुआ डूमरडीहा गांवों में जल मीनार निर्माण कार्य एक साल पूर्व शुरू किया गया. कुसुमा मुखिया दुलार चंद पटेल कहते हैं साल भर पूर्व शुरू किया गया निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया.