केलाघाघ डैम की जल्द ना हुई सफाई तो सिमडेगा शहर का कंठ पानी के अभाव में सूखा रहेगा
आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा शहरी क्षेत्र की प्यास बुझाने वाला केलाघाघ डैम सूखने के कगार पर पहुंच गई है, जिससे भीषण जलसंकट के संकेत मिलने लगे हैं. अभी वैशाख का महीना चल रहा है अभी जेठ की भीषण गर्मी बाकी है. लेकिन अभी से हीं सिमडेगा के पेयजल सप्लाई पर खतरे के बादल छाने लगे हैं. सिमडेगा शहरी क्षेत्र में पेयजल सप्लाई का एक मात्र जलाशय, जिसके भरोसे सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र के निवासियों की प्यास बुझती है. आज सूखने के कगार पर पहुंच गई है. डैम का लगभग 50 प्रतिशत सुख गया है. जिससे डैम में जमा कीचड़ बाहर आ गया है.जिसे देख कर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस डैम की सफाई काफी दिनों से नहीं हुई है. डैम के डूब क्षेत्र में मिट्टी और कीचड़ भरे हुए हैं. जिस कारण डैम में पानी स्टोरेज कम होने लगा है. जिससे डैम के अस्तित्व में खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इस डैम की ये हालत देख शहर के लोग काफी चिंतित हैं. डैम की ये हालत देख लोग चिंतित हैं कि डैम पूरी तरह सुख गया तो शहर का प्यास कैसे बुझेगा. स्थानीय समाजसेवी दीपक अग्रवाल ने स्थानीय प्रशासन से इस डैम के सफाई कराने की मांग की है. जिससे लोगों की प्यास भी बुझती रहे और खेती के लिए पानी भी मिल सके.
लगातार मिट्टी भराव और सफाई के अभाव के कारण इस केलाघाघ डैम का अस्तित्व खतरे में है. अगर जल्द इस डैम की सफाई नहीं हुई तो आने वाले समय में डैम में पानी स्टोर करने की क्षमता खत्म हो जाएगी. जिला परिषद सदस्य शांति बाला केरकेट्टा ने डैम की इस हालत पर चिंता जाहिर करते हुए मंत्रालय तक बात पहुंचकर इस डैम को बचाने की बात कही.
केलाघाघ डैम के सूखने की ये स्थिति सिमडेगा शहर के प्यास बुझाने के खतरे के संकेत देने लगी है. क्योंकि अभी जेठ की भीषण गर्मी बाकी है। डैम के बदहाली की सूचना पर आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश कोडिनेटर दिलीप तिर्की भी डैम का निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने भी डैम की हालत देखी तो उन्होंने भी माथा पीट लिया. डैम की हालत देख कर दिलीप तिर्की ने कहा कि वे मुख्यमंत्री तक इस डैम की बदहाली की खबर लेकर जाएंगे और इस डैम की सफाई करवाने की मांग करेंगे.
सिमडेगा शहर की प्यास बुझाने वाला केलाघाघ डैम खुद प्यासा नजर आने लगा है. डैम के इस हालत पर लोग आने वाले जलसंकट के खतरे से सहमे हुए है. जनप्रतिनिधि तो इस डैम के उद्धार कराने की बात कह रहे हैं. लेकिन उसमें समय लगता नजर आ रहा है. जबकि आने वाला जल संकट सुरसा के जैसे मुंह खोले खड़ा है. अगर समय रहते इस डैम की सफाई नहीं हुई तो सिमडेगा शहर का कंठ प्यास से अकड़ जाएगा.