प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग में प्रशासनिक साठ गांठ से जमीन माफियाओं की चांदी कट रही है. उपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियो का सिंडीकेट जमीन माफियाओं के साथ गठजोड़ कर हजारीबाग में अपनी समांतर सरकार चला रहे हैं. यहां जमीन माफिया कितने पावरफुल हैं इस बात का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता की एक डीसी यदि कोई गड़बड़ी पकड़ जमीन माफियाओं पर नकेल कसता तो दूसरा डीसी पुराने डीसी के आदेश को ही बदलवा देता. हालात कितने गंभीर हैं इस बात का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता. अरसे से जिले में सक्रिय जमीन माफियाओं की नजर शहर के लगभग 653 एकड़ खास महल की जमीन पर है. हालात कितने भयावह हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता की ईसाई मिशनरियां तक जमीन के इस खरीद फरोख्त में शामिल हो गई है. अंग्रेजो के जमाने में जो जमीन ईसाई मिशनरियों को सेवा के लिए आवंटित की गई थी. आज उन जमीनों पर बड़े बड़े अपार्टमेंट, मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स, बड़ी बड़ी इमारत, शादी घर तक बन दिए गए हैं. ऐसा नहीं है की शासन प्रशासन को इन बातो की जानकारी नही, सबको हर बात की जानकारी है, कुछ मामलों को जांच की आड़ में संचिकावो के हवाले कर दिया गया है, कुछ मामले हाई कोर्ट में लंबित है. सरकार या केंद्रीय जांच एजेंसियां यदि पूरे मामलो की ईमानदारी से जांच करे तो हजारीबाग में जमीन घोटाले का एक बड़ा मामला उजागर होगा.
किस डीसी का आदेश न्यायसम्मत, पब्लिक दुविधा में-
अगर बात करे दो डीसी के एक दूसरे के विपरीत मंतव्य के बारे में तो झारखंड का हजारीबाग जिला के नाम का उल्लेख करना तर्क सम्मत होगा. यहां एक डीसी थे रवि शंकर शुक्ल. उन्होंने शहर के मेन रोड और इस से सटे शहर के 8 वार्ड के 187 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री, नामांतरण, एलओसी निर्गत करने पर तत्काल प्रभाव से मौखिक आदेश देकर रोक लगा दी थीं. उन्होंने यह आदेश हजारीबाग निबंधन कार्यालय के उप रजिस्ट्रार को दिया था. उनके इस आदेश से शहर में हड़कंप मच गया था. इस आदेश से शहर भर में बिल्डरों के करीब 8 हजार से ज्यादा फ्लैटों को ना केवल रजिस्ट्री प्रभावित हुई थी बल्कि उनका निबंधन, दाखिल खारिज यहां तक कि भू स्वामित्व प्रमाण पत्र निर्गत करने पर रोक लग गई थी. यहां तक कि नगरपालिका द्वारा संबंधित इलाके में नए होल्डिंग नंबर निर्गत करने पर रोक लगा दी गई थी. भू माफिया इस आदेश से जल बिन मछली की तरह तड़पने लगे थे.
पांच साल बाद-
जिले की नई उपायुक्त के रूप में आईएएस नैंसी सहाय का पदस्थापन सरकार ने किया. उन्होंने पूर्व डीसी रविशंकर शुक्ल के मौखिक आदेश को निरस्त कर संबंधित इलाके में जमीन से लगी सभी रोक को निरस्त कर दिया. यह आदेश 2023 के नवंबर माह को जारी किया गया. डीसी नैंसी सहाय के आदेश पर तत्कालीन एसी ने इस से स्थित आदेश भी निर्गत कर दिए.
अनसुलझे तथ्य-
पूर्व डीसी रवि शंकर शुक्ल ने क्यू ऐसा आदेश दिया था, उन्होंने क्या गड़बड़िया पकड़ी थी. ऐसी क्या वजह थी की उन्होंने क्यू किन परिस्थितियों में मौखिक रोक लगाई. क्या लिखित आदेश निर्गत नही करने का इनपर कोई दबाव था, अगर आदेश मौखिक था तो नीचे के अधिकारियो ने क्यू इसका पालन किया, जब तक की कोई भारी गड़बड़ी न पकड़ी गई हो. अगर नई डीसी नैंसी सहाय ने अपने आदेश पर इस रोक को हटा दिया तो उसका पैमाना क्या था. जनता परेशान थी या भू माफिया जिनकी जिले में हर स्तर पर चाहे अंचल हो, जिले के कार्यालयों या थाना हर जगह उनके सिक्कों के खनक की सरकार चलती.