न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: रांची के ईटकी प्रखंड में वर्षों से बंद बीज प्रसंस्करण केंद्र को सिद्धको फेड के तहत संचालित करने की योजना है . इसको लेकर कागजी प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है. राज्य की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने आज बीज प्रसंस्करण केंद्र का निरीक्षण किया. इस दौरान विभागीय अधिकारियों के साथ मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने तिलकसुती में बने बीज प्रसंस्करण केंद्र की जमीनी हकीकत को जाना.
बीज प्रसंस्करण केंद्र भवन के इस्तमाल नहीं होने को लेकर मंत्री ने नाराज भी नजर आई. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने विभागीय अधिकारियों को एक माह के अंदर कागजी प्रक्रिया पूर्ण कर सिद्धको फेड के द्वारा संचालन की प्रक्रिया तेज करने को कहा है. उन्होंने कहा कि ये केंद्र पिछले 10 साल से बन कर तैयार है पर विभागीय लापरवाही की वजह से इसका सही उपयोग आज नहीं हो पाया. सहकारिता विभाग के सिद्धको फेड के द्वारा वनोपज के साथ-साथ, भंडारण से लेकर प्रोसेसिंग यूनिट के तौर पर केंद्र का उपयोग में लाया जाएगा. सिद्धको फेड की तरफ इसको लेकर वेजफेड के साथ पत्राचार भी किया गया है. निरीक्षण के दौरान कृषि निदेशक ताराचंद , सिद्दको फेड के निदेशक राकेश कुमार, इटकी अंचलाधिकारी मौजूद थे.
कृषि , पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान ईटकी प्रखंड के रानी खटंगा में पॉली कैब के जरिए जरबेरा की खेती कर रहे समीर मिंज से मुलाकात की. समीर मिंज उनकी पत्नी अपनी जमीन पर विभाग की मदद से जरबेरा की खेती कर रहे है. इसको लेकर उन्हें ट्रेनिंग के साथ-साथ योजना से जोड़कर जरबेरा की खेती को विकसित करने में मदद पहुंचाई गई. जरबेरा की खेती से लाभुक समीर मिंज को 60 हजार रुपए तक आय का अनुमान है. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने लाभुक किसान समीर मिंज को फूल और जरबेरा की व्यापक खेती करने की नसीहत दी. इसको लेकर विभाग की योजनाओं से उन्हें जोड़ने का काम किया जाएगा. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने दूसरे किसानों से भी इससे जुड़ने की अपील की है.
बेड़ो प्रखंड के पुरिया गांव में बायोगैस प्लांट का निरीक्षण भी मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने किया. मेधा की पहल पर पुरिया गांव के 98 परिवार का चूल्हा हर दिन बायोगैस से जल रहा है. घर में दो मवेशी रखने के साथ बायोगैस का लाभ लिया जा सकता है. आज पुरिया गांव की महिलाएं बायोगैस के इस्तमाल से खुश है. उन्हें आर्थिक बजत भी हो रही है. बेड़ो के चनगनी मेधा के द्वारा ऑर्गेनिक खाद बनाया जा रहा है. पहले गाय पालन, फिर दुग्ध संग्रहण, फिर गोबर की मदद से बायोगैस प्लांट और उसके बाद ऑर्गेनिक खाद का निर्माण, ये सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा है.