प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड क्षेत्र में बालू का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है. बराकर नदी के बैरिसाल, पुरहारा, कोल्हुआकला, करगईयो, बेहराबाद, धोबीयापहरी, गौरियाकरमा, मयूरहंड क्षेत्र से दिन दहाड़े बालू का उठाव हो रहा है. जबकि, 10 जून से 15 अक्टूबर तक किसी भी नदी से बालू का उठाव नहीं करना है. इतना ही नहीं बरही प्रखंड में किसी बालू घाट की नीलामी भी नहीं हुई है. स्थानीय प्रशासन इस तस्करी से वाकिफ है, लेकिन खामोश है. इस कारण सरकारी राजस्व की क्षति हो रही है. लोगों का कहना है कि खनन विभाग, अंचल विभाग व पुलिस विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है. यही वजह है कि कोई अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहा है. एनजीटी के प्रतिबंध की धज्जियां उठाई जा रही हैं. नदियों को नुकसान तो हो ही रहा, सरकार को भी क्षति हो रही है.
बालू तस्कर रात के अंधेरे में बालू का उठाव करते हैं, रात्रि 12 बजे से सुबह सात बजे तक ट्रैक्टर से होती है दुलाई
बरही ओल्ड जीटी रोड से गुजरता अवैध बालू लदा ट्रैक्टर जागरण तक इस खेल को देखा जा सकता है. अभी करीब 60 से 70 ट्रैक्टर हर दिन बालू का उठाव कर रहे हैं. तस्कर इस बालू का उठाव कर जंगल में भंडारण करते हैं. इसके बाद इसे बेचकर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. ग्रामीणों की मानें तो 1000 रुपये प्रति ट्रैक्टर के बदले 2700 से 3200 रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर से बालू की बिक्री हो रही है. कई जगह तो एक 2700 से 3200 रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर से बालू की बिक्री ट्रैक्टर बालू की कीमत चार हजार रुपये तक वसूला जा रहा है. मजबूर होकर लोग खरीद भी रहे हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि ज्यादतर बालू लदे ट्रैक्टर दुलमाहा बांड़ापहाड़ी, श्रीनगर, विजैया, बेलादोहर आदि मार्ग होते हुए करियातपुर, नईतांड, बरसोत जीटी रोड़ तक पहुंचते हैं. उसके बाद बरही शहर तक पहुंचते हैं. इन मार्गों पर प्रशासन जानबूझकर छापेमारी नहीं करता है, क्योंकि उसकी मिलीभगत होती है. ग्रामीणों ने बताया कि इस समय सबसे अधिक वैरिसाल, पुरहारा, कोल्हुआकला, करगईयो, बेहराबाद, धोवियापहरी गांव स्थित नदियों से बालू निकाला जा रहा है. लंबे समय से किसी भी नदी के बालू घाट की नीलामी नहीं हुई है. बेहराबाद व वैरिसाल बालू घाट की नीलामी की प्रक्रिया जारी है. 15 जुलाई से पूर्व ग्रामीणों की आमसभा भी हुई थी. लेकिन अबतक नीलामी पूर्ण नहीं हुई ब है. ग्रामीण बताते हैं कि बालू तस्कर मेन आपराधिक छवि के होते हैं. नेताओं का उन्हें संरक्षण प्राप्त होता है. इस कारण कोई उनसे नहीं उलझता है. ये तस्कर अवैध बालू लदे ट्रैक्टर के अला आगे-आगे बाइक और कार लेकर चलते हैं. एक ट्रैक्टर चालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बालू लदे जो ट्रैक्टर दलालों को पैसा नहीं देते हैं, उनके ही पकड़े जाने की संभावना रहती है. प्रति ट्रैक्टर 500 से 800 रुपये अधिकारियों को रिश्वत दिए जाते हैं. उधर, अंचल पदाधिकारी व पुलिस का दावा है कि अवैध बालू तस्करी के खिलाफ हमेशा कार्रवाई होती है.