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गढ़वा/ डेस्क: गढ़वा जिले के डंडई प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष इकलौता धान क्रय केंद्र होने के बावजूद भी धान की खरीदारी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो सका. हालांकि कम खरीदारी के कई कारण हो सकते हैं. इस वर्ष धान का बिक्री दर बाजार भाव के दर से मात्र एक दो रुपये का अंतर हुआ.
जिस कारण प्रखंड के किसान धान क्रय केन्द्र में धान बेचना नहीं चाहें और रुचि नहीं लिये. क्योंकि अपनी पैदावार धान को धान क्रय केंद्र तक ले जाने के लिए वाहन किराया और मजदूरी का खर्च मिला कर उन्हें सरकार द्वारा खोला गया धान क्रय केन्द्र में बेचना महंगा पड़ता. प्रखंड के किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित की गई खरीदारी मूल्य लगभग बाजार के मूल्य के बराबर रहा. बाजार में इस वर्ष धान की खरीदारी 21 और 22 रुपए प्रति किलो ग्राम रहा. जबकि क्रय केंद्र में ₹23 प्रति किलोग्राम की दर से खरीदारी हुई है. किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा धान का लगाया गया भाव काफी कम है. किसानों की दुगनी आय बढ़ाने के लिए सरकार को कम से कम ₹30 प्रति किलोग्राम धान का भाव करनी चाहिए थी. बताया कि किसान धन जैसे प्रमुख फसलों को उगाने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ कड़ी मेहनत करते हैं साथ ही महंगे दर पर खाद बीज, कीटनाशक दवा सहीत नलकूपों के माध्यम से सिंचाई के लिए डीजल का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं मजदूर को मजदूरी दर भी अधिक देना पड़ता है.
ऐसे में यदि किसानों द्वारा उपजाई गई धान की सरकारी क्रय दर अधिक ना हो तो किसानों का आय में बढ़ोतरी नहीं होगी और किसानों को भारी नुकसान हो जाएगा और आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ जाएगा. वही किसान सलाहकार समिति के अध्यक्ष उत्तिम देव प्रजापति का कहना है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र में लगभग 4000 किसान है. इस वर्ष वारिस के अभाव में प्रखंड के हर इलाके में पहले जैसा धान की फसल अच्छी नहीं हुई. फिर भी सैकड़ो किसानों के द्वारा नलकूप के माध्यम से डीजल पंप द्वारा सिंचाई कर धान की फसल उगाई गई थी. लेकिन वे मुनाफा नहीं कमा सके. उन्होंने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में धान क्रय केंद्र काफी विलंब से खोली गई. तब तक अधिकतर किसान साहूकार के पास औने पौने दाम में अपना पैदावार धान बेच चुके थे.
प्रखंड के धान क्रय केंद्र संचालक सह पैक्स अध्यक्ष राजकुमार शाह ने बताया कि इस वर्ष लगभग 1800 क्विंटल धान की खरीदारी हो पाई है जबकि लक्ष्य लगभग 3000 क्विंटल था. बताया कि धान खरीदारी की सरकारी दर 23 रुपए प्रति किलोग्राम था. धान की खरीदारी 26 जनवरी 2024 के बाद से शुरू हुई थी.