न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार 10 जनवरी को 33% महिला आरक्षण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने उस याचिका को निरर्थक बताया जिसमें विधेयक को चुनौती दी गई थी, जिसे नकार दिया गया. SC के बेंच ने कहा कि पहले भी संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का मुद्दा उठाया गया, मगर इसे कभी लागू नहीं किया जा सका. इस बार इसे परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने की शर्त पर लागू किया जा रहा है.
क्या है महिला आरक्षण कानून
लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिला आरक्षण अधिनियम (नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023) महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है. अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए भी यह नियम लागू होगा. इसका यह मतलब है कि लोकसभा की कुल 543 सीटों में अब कुल 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी जाएंगी. हालांकि केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित नहीं होंगी. महिलाओं के लिए सीट आरक्षित जनगणना के आधार पर की जाएगी जिसके लिए परिसीमन किया जाएगा. महिलाओं को यह आरक्षण 15 साल की अवधि के लिए दिया जाएगा. फिलहाल लोकसभा की कुल 131 सीटें SC/ST के लिए आरक्षित है. इनमे और 43 सीट महिला आरक्षण कानून लागू होने के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे. इन 43 सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों का सदन में हिस्सा माना जाएगा. इसका मतलब यह है कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 सीटें होंगी. इन सीटों पर किसी भी जाति की महिलाएं उम्मीदवार हो सकते है. इन सीटों पर कोई पुरुष उम्मीदवार नहीं हो सकता है. आपको बता दे कि यह गणना लोकसभा में मौजूद सीटों की संख्या पर की गई है. इसमें परिसीमन के बाद बदलाव हो सकता है.