न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: 'तवायफ' यह शब्द सुनते ही आपके मन में क्या ख्याल आता है. आपको मन मेतो यही बात आई होगी कि तवायफों को हमेशा नाच-गाने में डूबे रहने वाली और अपने हुनर से कद्रदानों से पैसे लेने वालों में आती है. तवायफों के जिंदगी को हमेशा चकाचौंध माना जाता है. यहां गीत-संगीत को बढ़ावा मिलता है. लेकिन तवायफों की जिंदगी सिक्के के दो पहलू जैसी होती है. इस सिक्के के रंगीन पहलू तो सबको देखने मिलते है. लेकिन इसके एक और पहलू यानी तवायफों के परदे के पीछे की जिंदगी कुछ और ही है. आइए आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते है.
जब भी कोई तवायफ चकाचौंध भरी महफ़िल जामती है. तब उसे अपने जीवन में कोठे पर पांच बलिदान देने पड़ते है. इसके बाद ही उसे महफ़िल में कोई कद्रदान मिलते है. सबसे पहला बलिदान अगर कोई तवायफ देती है तो वह होता है उसका समय. जब भी कोई तवायफ कोठे में लाइ जाती है, तब उसे अपने परिवार का नाम-पहचान और सब चीज़ को छोड़कर सभी को बूलना पड़ता है.
अगर किसी तव्याफ को मशहूर बनना है, तो उसे घंटी रियाज करना पड़ता है. ऐसे में उन्हें अपने पीरियड्स के दिनों में भी नहीं रुकना पड़ता है. जिंदगी का सबसे बड़ा बलिदान तवयाफ को तब देना पड़ता है जब वह प्रेग्नेंट हो जाती है. जब कोई तवायफ प्रेग्नेंट हो जाती है तब उसका गर्भपात करा दिया जाता है. अगर उनके बच्चे हो जाते थे, तब उसे अपने बच्चों से दूर रहना पड़ता था. ऐसे में हर तवायफ की जिंदगी एक सम्मान नहीं होती है. किसी-किसी को एक दासी बनकर अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती है. तवयाफ कको अपने जिंदगी का आखिरी बलिदान यह देनबा पड़ता है कि उन्हें अपने जीवन से प्यार को दूर रखना पड़ता है. तवायफ कोठे में आ जाने के बाद किसी भी व्यक्ति से प्यार का रिश्ता नहीं जोड़ सकती है.