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रांची/डेस्क: आपने ये बात तो सुनी ही होगी 'धरती पर नरक' ये सिर्फ मुहावरा नहीं है. यह सच में में भी है. इस दुनिया में उच्च जगह ऐसी भी है,जिन्हें पाताल लोक जाने का रास्ता या नरक का दरवाजा कहा जाता है. कई वैज्ञानिकों ने भी ऐसा ही माना है. ऐसे में कुछ जगहों को तो ये भी कहा जाता है कि यहां इंसानों की बलि दी जाती है. इन जगहों को नरक जाने का रास्ता कहा जाता है. आइए आपको इन झ्गों के बारे में पूरी जानकारी देते है.
प्राचीन ग्रीक शहर हिएरापोलिस
तुर्किये में स्थित प्राचीन ग्रीक शहर हिएरापोलिस (Hierapolis) में के गुफा को 'प्लूटो का द्वार' कहा जाता है. पुरानी कहानियों के अनुसार, बलि दिए गए जानवर जैसे ही इस गुफा में प्रवेश करते थे. इसके बाद वह तुरंत मर जाते थे. यह गुफा जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड गैस से बनी हुई है. इस बात को विज्ञान ने साबित भी किया है. इस गुफा में मौजूद जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण जानवरों और छोटे पक्षियां मर जाते थे. इस स्थान को एक तरह का 'गैस चैम्बर" कहा जाता है. इस कारण से ही इसे नरक का दरवाजा कहा जाता है.
प्राचीन यरूशलम के बाहर की घाटी- गेहिन्ना
न्यू टेस्टामेंट में 'नरक' का ग्रीक शब्द गेहिन्ना (Gehenna) है. हिब्रू शब्द 'गे-हिन्नोम' (हिन्नोम की घाटी) से इसका नाम आया है. प्राचीन समय में इस जगह बच्चों की बलि दी जाती थी. ऐसा अमोनाइट देवता मोलोक को प्रसन्न करने के लिए किया जाता था. यहूदी और ईसाई धर्म में इस घाटी में शवों को जलाने की प्रथा ने 'नरक की आग' की अवधारणा को जन्म दिया. प्राचीन कहानियों में ऐसा कहा जाता था कि जिन भी लोगों को सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं मिलती थी तो उनके आत्माओं को इस जगह फेक दिया जाता था. प्राचीन ग्रंथों में यह जगह आज भी "धरती के नरक" की सच्ची तस्वीर पेश करता है.
आइसलैंड का हेक्ला ज्वालामुखी
हेक्ला ज्वालामुखी जो कि आइसलैंड में है. इसे प्राचीन काल से 'नरक का दरवाजा' माना जाता है. इसके विस्फोट के कारण वर्ष 1104 में आधा आइसलैंड जलकर राख और पत्थरों से धक् गया था. इस बर्फ से ढके पहाड़ को मध्यकालीन ईसाई 'नरक की चिमनी' कहते है. प्राचीन कहानियों के अनुसार यह माना जाता है कि इस ज्वालामुखी के नीचे पाताल लोक छुपा हुआ है.
सेंट पैट्रिक्स पुर्गेटरी
पैट्रिक्स पुर्गेटरी (St. Patrick’s Purgatory) जो कि आयरलैंड में स्थित है. इस जगह को 'दुनिया के छोर' के तौर पर माना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि सेंट पैट्रिक को ईसा मसीह ने यह गुफा दिखाया था. उन्होंने ये सेंट पैट्रिक को यह गुफा इसलिए दिखाई थी ताकि वह लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर सकें. यह एक छोटी सी गुफा था. यहां अगर कोई धुएं में सांस लेता था तब उसे आध्यात्मिक जागृति मानी जाती थी.
एक्टुन तुनिचिल मुक्नाल
यह गुफा बेलीज़ में 'पत्थर की समाधि की गुफा' के नाम से जानी जाती है. माया सभ्यता के मुताबिक, पाताल लोक का प्रवेशद्वार 'ज़िबाल्बा' को कहा जाता है. इस जगह में 4 साल के बच्चे के साथ कई लोगो जिनी बलि चढाई गई है, उनके कंकाल पाए गए है. इनके कई सारे कंकाल ऐसे है जो कैल्सियम से ढके हुए है. इस कारण से यह कंकाल चमकदार बन जाते है. प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए माया सभ्यता में इन बलिदानों को जरूरी माना जाता था.