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रांची/डेस्क: राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में कई वर्षों के अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इस अनोखी परंपरा के बारे में आप जानकार हैरान हो जाएंगे. यहां शुक्रवार 21 मार्च को लोगों के मनोरंजन के शीतला सप्तमी के दिन जीवित व्यक्ति को अर्थी पर लेटाकर मुर्दे की सवारी निकाली गई. जी हां आपने सही सुना. यही नहीं इस दौरान लोगों ने रंग-गुलाल भी उडाए. इस दौरान हंसी-मजाक में लोग फब्तियां भी कसते नजर आए आए थे. इस यात्रा के दौरान कोई भी अप्रिय घटना ना घटे, इसके लिए शहर में पुलिस के जवान भी तैनात थे.
आपको बता दें कि बीते 426 सालों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है. इस परंपरा के अनुसार, अर्थी पर एक जीवित व्यक्ति को लेटाया जाता है. इसके बाद पूरे शहर में गाजे-बाजे के साथ रंग-गुलाल उड़ाते हुए उसकी शव यात्रा निकाली जाती है. यही नहीं इसके बाद शहर के एक विशेष स्थान पर अंतिम संस्कार भी किया जाता है. हालांकि अंतिम संस्कार पर लेटा व्यक्ति वाहन से कूदकर भाग गया.
शव यात्रा के दिन करते है व्यंजनों का सेवन
भीलवाड़ा में बड़े हर्ष और उल्लास से शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है. इसके दिन पहले यानी इस बार गुरुवार 20 मार्च को घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए गए थे. वहीं इस बाद दिन यानी शुक्रवार 21 मार्च को शहर सहित जिले में रंग-गुलाल खेलते हुए घरों में बनाए गए व्यंजन का सेवन किया गया. शहर के चित्तौड़ वालों की हवेली से अर्थी पर एक जिंदा युवक को लेटाकर शव यात्रा निकाली गई थी.
नाचते गाते हुए निकाली गई शव यात्रा
शव यात्रा के दौरान हजारों लोग नाचते हुए ढोल-नगाड़े सहित चलते है. यही नहीं हंसी-मजाक के लिए अर्थी पर लेटा हुआ व्यक्ति अजीब हरकतें भी करता है. वहीं शव यात्रा में कोई अप्रिय घटना ना हो इसके लिए शहर में भारी पुलिस का जाब्ता भी तैनात किया गया था. शव यात्रा का समापन शहर के चारभुजा मंदिर के पीछे हुआ. यहां अंतिम संस्कार के दौरान जिंदा व्यक्ति अर्थी से कूद गया. इसके बाद खाली अर्थी का अंतिम संस्कार करने की परंपरा निभाई गई.