पांचवीं की शिक्षा के बाद बेटियों को हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने में होती है परेशानी
किशोर कुमार जायसवाल/न्यूज़11 भारत
गुमला/डेस्क: गुमला सदर प्रखंड के पूर्व भाग स्थिति कलिगा पंचायत में हाई स्कूल की सुविधा नहीं है. इस पंचायत की आबादी लगभग 8 हजार है. सदान व खड़िया बहुल इस पंचायत में दो मीडिल स्कूल है. जिसकी दूरी भी लगभग 5 किलोमीटर है. जिसके बाद हाई स्कूल की शिक्षा के लिए इस पंचायत के बच्चों को आठ से दस किलो मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. हाई स्कूल की शिक्षा के लिए लड़के तो आठ से दस किलो मीटर की दूर तय कर लेते हैं लेकिन कई लड़कियों की शिक्षा पांचवीं के बाद शायद रूक जाती है.
यह दुर्भाग्य कहें या जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कहें. आजादी के इतने लंबे अंतराल के बाद भी इतने बड़े पंचायत में एक हाई स्कूल का न होना लोगों को अचरज में डाल देता है. कभी यह क्षेत्र घेर नक्सल प्रभावित रहा था. जहां दिन के उजाले में ही गांव में नक्सलियों की चहल कदमी होती थी. लेकिन वो बुरा वक्त तो जरूर गुजर गया लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इस पंचायत में कोई क्रांति नहीं हुई. झारखंड राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में स्कूलों को मर्ज करने का अभियान जोर-शोर से चलाया गया और सैकडों स्कूलों को मर्ज भी किया गया. कई स्कूलों को उत्क्रमित कर हाई स्कूल का दर्जा दिया गया. लेकिन कलिगा पंचायत में किसी स्कूल को उत्क्रमित कर हाई स्कूल नहीं बनाया गया.
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शिक्षा के अभाव में गांव का विकास भी अधूरा है. क्षेत्र के लोग आज भी उच्च शिक्षा की बाट जोह रहे हैं. इस संबंध में गांव की सुमति देवी, पंचायत समिति सदस्य कमला कच्छप, निर्मला तिर्की व पुष्पा देवी ने बताया कि उच्च विद्यालय नहीं होने के कारण सबसे अधिक बच्चियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है. कलिगा पंचायत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा खोखला दिखलाई पड़ती है. क्योंकि आजादी के इतने लंबे दशक के बाद भी गांव में हाई स्कूल की सुविधा नहीं है. क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी शिक्षा की बात तो करते हैं पर बच्चियां कैसे शिक्षित होगी इसका प्रबंधन नहीं कर पाते हैं. जनता तो चुनाव में उच्च शिक्षा को चुनावी मु्द्दा बना सकते हैं लेकिन एकजुटता की कमी दिखलाई पड़ती है.