आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: शब-ए-बारात मुसलमान समुदाय के लोगों के लिए इबादत और फजीलत की रात होती है. शब-ए-बारात दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें शब का अर्थ होता है, रात और बारात का अर्थ है बरी होना. मुस्लिम समुदाय में ये त्योहार बेहद खास माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह की रहमतें बरसती है. शब-ए-रात को पाक रात माना जाता है. मुसलमान समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं. साथ ही उनसे हुए अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.
मुस्लिम धर्मावलंबियों का पवित्र त्योहार शब ए बारात सिमडेगा में आज की रात मनाया जाएगा. शब-ए-बारात इबादत के लिए सबसे बेहतर रात है. किसी सूरत में इसे गफलत में न गुजारा जाये. इस मुबारक रात में अल्लाह लोगों को जहन्नुम से आजाद फरमाता है. बताया गया कि छह लोगों की इस रात भी बख्शीश माफी नहीं होगी. इसमें शराबी, मां-बाप को तकलीफ पहुंचाने वाला, बलात्कारी, जादूगर, चुगलखोर व सूदखोर की माफी नहीं होती है. जमीअत उलेमा के सदर मौलाना मिनहाज रहमानी ने अपने संदेश में कहा कि कोई किसी गुनाह में शामिल है, तो शब-ए-बारात के आने से पहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर लें. रसूले अकरम शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है. रसूल माहे शाबान में रोजे रखना पसंद फरमाते. रोजा की फजीलत पर हजरत रसूल फरमाते है जो शख्स शाबान की 15 तारीख को रोजा रखेगा, उसे जहन्नुम की आग नहीं छू पायेगी. उन्होंने कहा कि इबादत की रात को खूब इबादत करें और अपने गुनाहों के मगफिरत की खूब दुआ करें. इस तरह पक्की सच्ची तौबा करें कि अल्लाह ताला राजी हो जाए. उन्होंने कहा कि शाबान की 14वीं रात गुनाहों से माफी की रात है. सूर्यास्त (मगरिब) के बाद अल्लाह इस रात में की गई दुआओं को कबूल करता है. अपने बन्दों की हर नेक मुरादों को पूरी करते है. इस रात को अल्लाह आला गुनहगारों को गुनाहों से निजात देते है. यह रात जाग कर इबादत करने वाली रात है. इस रात में कुरान शरीफ की तिलावत अधिक से अधिक करने को कहा गया है. इसके अलावा तस्बीह के साथ नफील नमाजों का खास एहतेमाम करें. अल्लाह ताला का खूब जिक्र करें, सदका निकालें. मौलाना ने कहा कि उसी रात को साल भर के हिसाब किताब होते हैं. इस रात बे हिसाब गुनहगारों के गुनाहों की माफ़ी मिलती है.
उन्होंने कहा कि पटाखा और आतिशबाजी में पैसा खर्च करना फिजूलखर्ची है. फिजूल खर्च करने वाला शैतान का भाई है. यह गुनाह की तरफ ले जाता है. मौलाना मिनहाज ने कहा कि शब ए बारात के दिन ही होली का पर्व भी है. उन्होंने कहा कि बेवजह घर से नहीं निकलें. अगर घर से निकलना जरूरी हो तो एहतियात रखें. फिर भी अगर किसी जगह आपके ऊपर होली के रंग पड़ भी जाते हैं तो घर आकर खुद को साफ कर लें. बिना वजह किसी का विरोध न करें. सभी को अपना पर्व मनाने की आज़ादी है. अगर किसी को रंगों से परहेज़ है तो उन्हें अपनी हिफाज़त खुद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शब ए बारात में रात को इबादत करें और कब्रिस्तानों पर जाकर गुज़रे हुए लोगों की मगफिरत की दुआ करें और 15 वीं तारीख़ का रोजा रखें.