प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: शहर के नवाबगंज में कैसरुल हसन खान के आवास पर मुहर्रम की नौ तारीख को शोहदाए कर्बला की बाद में शहीदी मजलिस का आयोजन किया गया. गौरतलब हो कि इस मजलिस का आयोजन वर्षों पूर्व से किया जा रहा है. इस अवसर पर गिलाफे काबा के टुकड़े, गारे हिरा की मिट्टी, कदीम जमाने की तसबीह आदि चीजों की अदब व एहतेराम के साथ जियारत भी कराई जाती है. मजलिस की सदारत करते हुए मौलाना जाबिर हुसैन सिद्दीकी ने अपनी तकरीर में कहा कि इमाम हुसैन ने साठ हिजरी में 72 लोगों के साथ इसलिए भी शहीद कर दिए गए कि उन्होंने यजीद जैसे जालिम और असामाजिक व्यक्ति को अमीर नहीं माना. यजीद्रयों ने तीन दिन तक नहरे फरात का पानी और खाना बंद करके नैनवा के मैदान में एक-एक करके सबको शहीद कर दिया. यजीद्री लश्कर नहरे फुरात का ठंडा पानी पीकर दुनिया से हमेशा के लिए मिटू गए और अहले बैत प्यासे रहकर शहीद होते हुए भी सदियों से आज भी जिंदा है. वहीं नात व मनकबत हाफिज कारी मौलाना दशमी आज, हाशिम, हाफिज मौलाना अख्तर राजा, सैयद नाजिम असदकी ने पेश किया. अपनी तकरीर में इमाम अब्दुल वाहिद मिसबाही ने कहा कत्ले हुसैन अस्ल में मरगे यजीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद. बाद सलाम वतन में अमनचैन, खुशहाली, भाईचारा, सौहार्द, प्रेम, सद्भाव बना रहे यह दुआ की गई. लोगों के बीच मेवा, शरबत, मीठा शिरनी बांटी गई. मजलिस में मुख्य रुप से समाज सेवी संजर मलिक, फिरोज हसन खान, अधिवक्ता जमील खान, नौशाद खान, मो सरफराज, शदाब राजी, अली हसन खान, मी जुलकरनैन, समसु अंसारी, मो राइन, इम्तियाज खान, मेराज वारसी, अहान, अमीन अहमद, समीर, सलमान, गोलु, टिंकु, मुन्ना, शोएब आदि शामिल हुए.